यह दुनिया वास्तविक है?यहाँ से जाने पूरी जानकारी-(this world Is real? Know complete information from here-)

यह दुनिया क्या वास्तविक है?यहाँ से जाने पूरी जानकारी-(this world is real? Know complete information from here-)

क्या वास्तविकता वास्तव है इस ब्रह्मांड में चाहे कितनी भी खोज कर ली लेकिन वह सबसे Complex जिन्हें हमारा दिमाग।हम जो भी देखते हैं,जो भी सोचते हैं,जैसे महसूस करते हैं, वह सारा कुछ यही होता है इसी के अंदर है पर क्या हम जो भी देख रहे हैं कर रहे हैं सोच रहे हैं।क्या ऐसा वास्तव है, क्या हम सब वास्तव है या स्त्री का कुछ और है। यह सुनने में काफी अजीब लगता है, लेकिन सच में आप यह कह सकते हैं कि ये दुनिया एक भर्म नहीं है, Virtual reality शायद आपने इसके बारे में सुना होगा यह computer-generated sunario है।

जो हमे इंद्रियों तथा अनुभवों के माध्यम से हमें वास्तविकता का बोध कराता है, अगर आपने इसे प्रयोग किया होगा तो आपने इसे अनुभव किया होंगे कि हमारे दिमाग को एक तरह से भ्रम में डाल देता है हम वर्चुअल रियालिटी को और एडवांस बना रहे हैं।आज आपको मार्केट में कई वीआर गेम्स मिल जाएंगे जो हमें पूरी तरह गेम के अंदर रहने का एहसास दिलाता है, अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह संभव है कि इक दिन हम भी अपना खुद का Simmilirelaated world बना लेंगे। और संभव है कि हम से मिले जैसी दुनियां बना सकते हैं, तो आखिर हमें कैसे कह सकते हैं कि ऐसा पहले ना हुआ हो क्या ऐसा हो सकता है हम सब क्रिएटर्स नहीं बल्कि किसी और के द्वारा बनाए गए क्रिएशन है, क्या ऐसा संभव है ,हम वास्तविक नहीं है और हम इसके बारे में जानते भी नहीं।


आखिर ए World क्या है और एक क्या कहां से आया है?
कैसे हमारा फ्यूचर हमारे पास्ट को निर्धारित करता है और फिर वापस हमारे future को तय करता है।

अपने आसपास देखता हूं,मेरे दिमाग में एक सारे सवाल आता है, आखिरी World ऐसा क्यों है जैसा हम देख रहे हैं। आखिर वह क्या है जो तय कर रहा है,यह World कैसी दिखती है, आखिर वह क्या है,जो मुझे जिंदा होने का एहसास कराती है, इसका सीधा सा जवाब है चेतना (consciousness) से है। लेकिन यह consciousness क्या है हम नहीं जानते हैं। कह सकते हैं कि हमें जिंदा होने का अनुभव कराता है हमारा क्या दुनिया वाकई में एक सच है या एक सपना है जिसे किसी ने खास हमारे लिए बना है।

आखिर हम यह कैसे कह सकते हैं कि एक सपने में और एक वास्तविक दुनिया में क्या फर्क है। हम जो कुछ भी है वह सब कुछ हमारा दिमाग है सारा कुछ ही इसी के अंदर समाया हुआ है और यही हमें सब कुछ होने का एहसास कराता है। हो सकता है सारी दुनिया असल में एक illussion है जिसे हमारे दिमाग में इंपोर्ट किया गया है।कैसा होगा अगर मैं कहूं वास्तविक दुनिया में कोई गंदगी नहीं और ना ही कोई स्वाद है और ना ही कोई आवाज है और ना ही कोई रंग और अगर कभी हम अपने वास्तविक दुनिया में चले जाए शायद हम उसे कभी पहचान ही नहीं पाएंगे।पर इसका कोई सबूत है कि हम एक सिमुलेशन वर्ड में जी रहे हैं आइए जानते हैं:-

1.Imformation:-

कई सारे वैज्ञानिक यह मानती है कि यह World इंफॉर्मेशन से बनी हुई है इंफॉर्मेशन या नहीं मैंने मतलब हर एक चीज का शायद एक भाषा शायद एक कंप्यूटर कोड अगर आप अपने मोबाइल स्कीम में देखेंगे कि यहां दिखने वाले सारे जीजा सारी फोटो गैलरी लगेंगे दिखाइए जो कि जीरो और एक कि ग्रुप में होता है इसे कंप्यूटर भाषा भी कहा जाता है और यह तय करती है कि आपका मोबाइल या कंप्यूटर का स्क्रीन कैसा होगा और उस पर फोटो जैसा या कैसा बनेगा ठीक उसी तरह हो सकता है

कि यह World भी उसी तरह के खास तरह के कोई कोर्ट से बना है जिसे हमारा दिमाग बिल्कुल असली दुनिया की तरह दिखा कर अभी उदाहरण ले सकते क्वांटम फिजिक्स और क्लासिकल फिजिक्स भी इसी इंफॉर्मेशन पर संकेत करता है कि फिजिकल फिजिसिस्ट जेम्स ग्रेड ने बताया है कि उसे इस सुपरसिमेट्री थ्योरी के इस मिशन में गहराई की खोज करने पर कंप्यूटर कोर्स मिलेंगे तो क्या यह सही है कि यह दुनिया कुछ नहीं एक वर्चुअल खेलती है।

2.Pixelation:-

जर्मन फिजिसिस्ट वार्ड नंबर क्वांटम मैकेनिक्स के पहले इक्वेशन की खोज की थी

यह एक प्रकार की गणित के जरिए जिन्हें हम कहते हैं

the Matrix theory इन्होंने पता लगाया की स्टेज शो टाइम असल में तीन डायमेंशन क्रिस्टल से बने हैं

यानी कि एक three डाइमेंशनल एक पाठ लेटरल ट्रायंगल

जिसके प्रत्येक किनारे की लंबाई किस ब्रह्मांड की सबसे छोटी इकाई है जिससे हम करते हैं

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Plank length (1plank length=10–³⁵m) होता है यानी कि 0.100000000000000000000000000000000000 मीटर होता है आसान भाषा में तो एक प्लेन प्लेन एक प्रोटीन के 100 गुना गुना छोटा होता है जैसे आपने देखा होगा कि आपका टीवी स्क्रीन भी छोटे-छोटे ब्लॉक्स में बटा हुआ है जिसे आप पिक्सल्स कहते हैं ठीक उसी प्रकार हाइजेनबर्ग ने बताया एलटी भी उसी तरह 3D पिक्चर की तरह से मिलकर बना है यानी कि हम जो दुनिया को देख रहे हैं और कुछ नहीं वह छोटे-छोटे पिक्सल्स है

आप हम आपका कंप्यूटर आपका मोबाइल या कुछ और कुछ नहीं है छोटे-छोटे और आपसे मिलकर परछाई बना रही है आखिर हम इन परछाई को डियर कैसे माने आखिर क्यों हमें यह दुनिया वास्तविक लगते हैं वह क्या चीज है जो हमें पिक्सल्स को हमें 3डी डांस ग्रुप में दिखाती है यह आईकॉन सीएसएस इसका वास्तविक के साथ गहरा संबंध है लेकिन इसके बारे में जाने से पहले इसे जानते हैं।

3. Casualty loops:-

अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने सिद्धार्थ के जरिए बताया कि टाइम असल में एक लीजन है

हमारे दैनिक जीवन में समय को एक लगातार चलते हुए क्रम में देखते हैं

जो लगातार पांच से पीछे की ओर बढ़ रहा है

लेकिन इमेजिन कीजिए यह सारा ब्रह्मांड एक सिंगल मोमेंट पर प्लीज है

हो जाए एक मूवी के एक सिंगल प्रेम के जैसा हम समाज को एक सीरीज के रूप में देख सकते हैं

जहां हर एक प्रेम यह संसार ठहरा हुआ और हम इस टाइम सीरीज में आगे बढ़ रहे हैं

और अगर इन सारे फेमस को एक लाइन में रखे

तो ब्राह्मण के सारे पॉसिबल मोमेंट्स को जैसे बिग बैंक से लेकर अब तक जितने भी मोमेंट्स हुए हैं

वह हमें मिलेगा जी मेट्रिक ऑप्टिक्स में जिसे आइंस्टाइन ने नाम दिया

ब्लॉक से हमने पहले जाना प्लेन प्लेन के बारे में ठीक उसी प्रकार उसका सबसे छोटा यूनिट होता है एक टाइम

 1 planck time=10—⁴³s

यहां रेडमोमेंट्स एक दूसरे से अलग होते हैं आइंस्टाइन ने बताया है

सहारा समय सारे समय में सब समय होता है

इसका क्या मतलब है इसका मतलब है कि हमारा भविष्य वर्तमान तथा भूतकाल सभी अलग मोमेंट्स में कैचर होते हैं

लेकिन आखिरी फ्रेम्स और मोमेंट केवल आठ से फ्यूचर की ओर क्यों बढ़ते हैं

यह फीचर से फास्ट की ओर क्यों नहीं बढ़ता

अभी तक कोई सही से बयां नहीं कर पाया लेकिन कुछ सेंड जानते हैं

कि टाइम फास्ट से फ्यूचर की ओर बढ़ता है

और इसी तरह से फैन एड्रेस फीडबैक लोग यानी अनंत कालचक्र में चलता रहता है

लेकिन हमारा खोज अभी तक खत्म नहीं हुआ हम तो बस अभी वास्तविकता की खोज में निकले याद है

मैंने आपको पहले बताया था वास्तविकता का कौन सी चीज से साथ गहरा संबंध है।

4.Non-Determission :-

Thomas young जो एक ब्रिटिश देश के शासक थे जिन्होंने एक एक्सपेरिमेंट की थी जिसका नाम दिया था द डबल स्लित एक्सपेरिमेंट यह एक ऐसा एक्सपेरिमेंट जिसने वैज्ञानिकों को हिला डाला लेकिन इससे पहले आइए जानते हैं इसे आज से करीब 20 साल पहले हमारे पास कुछ इस तरह के मोबाइल रहता था जो सिर्फ और सिर्फ एक दूसरे से बात कर सकते हैं और आज हमारे पास ऐसे स्मार्टफोन है जिसके जरिए हम बात करते वक्त देख सकते हैं यही नहीं हम अपने वॉइस से भी चला सकते हैं

अपने शायद की बात पर ध्यान दिया होगा कि जैसे-जैसे समय बीत रहा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में और एडवांस बनते जा रहे हैं हमारे आधुनिकता का ग्राफ लीनियर नहीं है लगभग हम हर साल पिछले साल की तुलना में तेजी से विकास करने का प्रयास करते हैं अपने आप में एक वर्ड प्रकाश से यूज कर रहे हैं और शायद हम ऐसे हैं जहां अपनी मर्जी से जी सकेगा।    Bihar Board News

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