चंदन की लकड़ी आखिर क्यों है इतना महंगा? यहां से जाने पूरी जानकारी–(Why is sandalwood so expensive? Get complete information from here-)

Sandalwood (sandalwood)चंदन की लकड़ी आखिर क्यों है इतना महंगा?

1.चंदन की लकड़ी (sandalwood)के बारे में कुछ महत्पूर्ण बाते?

=दोस्तो भारत के बारे में कहते है।”मेरे देश की धरती उगले हीरे मोती”

क्योंकि एक समय ऐसा था जब सारी दुनिया में सबसे ज्यादा धरोहर अपने भारत के पास ही था।

सब कुछ तो दुश्मनों द्वारा लूट लिया गया।

मगर आज भी बेहद कीमती धरोहर है जो भारत की सी मिट्टी पर उग रही है।

दोस्तो क्या अपने भारत के लाल सोने का नाम सुना है,भारत का लाल सोना कुछ और नहीं बल्कि लाल चंदन है।

लाल चंदन जिसे दुनिया के सामने tollywood की फिल्म पुष्पा लेकर आई है।

प्राइम वीडियो पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म पुष्पा भारत की ब्लॉकबस्टर मूवी बन चुकी है।

तारीफ में बस इतना कहना पड़ेगा की भारत में ऐसा कोई शख्स रहा नहीं जो मूवी से अनजान होगा।

मगर दोस्तों अगर आपने अब तक नहीं देखी है तो आपको बता दे पुष्पा लाल चंदन के इर्द-गिर्द घूमती है।

इस मूवी को देखने के बाद आप समझ जाएंगे लाल चंदन को लेकर कितने दद्दू जाते हैं।youtube

लाल रक्त चंदन kyu कहते है?

लाल चंदन को रक्त चंदन भी कहते हैं

चंदन के पीछे बजह यह है की इस लाल चंदन के चक्कर में अब तक न जाने कितने ही रक्त बह चुके हैं।

दुनिया में सिर्फ और सिर्फ भारतवर्ष में ही पाया जाता है।

यह दुनिया का सबसे कीमती लकड़ी है दोस्तों इमेजिन कीजिए की कीमत क्या हो सकती है।

तो साथ में कितने रुपए आएंगे जिनकी यह तो हमने बता सकते।

मगर आप सभी से लकड़ी के असली कीमत के बारे में सुनेंगे ना तो हैरान हो जाएंगे।

2.लाल चंदन (sandalwood) की कीमत?

दोस्तों लाल चंदन लकड़ी की कीमत 26000 से ₹30000 प्रति किलो है।

पेड़ से कम से कम 20 से 25 किलो तक की लकड़ी निकल जाती है।

जिसे बेचकर कम से कम पांच से ₹6 लाख मिल जाते हैं यानी कि एक लाल चंदन के पेड़ की कीमत ₹6लाख है,

तो 1 टन लाल चंदन की कीमत ₹2 करोड़ हो जाती है, अब हैरान होना तो लाजमी है।

दोस्तों जो चीज जितनी कम होती है उसकी कीमत उतनी ज्यादा होती है,

इसका इतनी कीमत होने की पीछे की वजह सिर्फ एक ही बहुत ही कम मात्रा में पाई जाती है।

3.लाल चंदन(sandalwood) कहा पाया जाता है और इसे लाल रक्त क्यों कहा जाता है?

=लाल चंदन भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में होता है।

ऐसी लाल चंदन के चक्कर में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बॉर्डर पर चीन द्वारा कई बार युद्ध की गई।

और न जाने कितनी जाने रक्त से लटपट हो गई।

चीन जैसे दुनिया भर में अपना दुश्मन घोषित कर दिया।

भारत के पीछे आज से नहीं बल्कि सदियों से घात लगाए बैठे है।

भारत में पाए जाने वाले लाल सोने के बारे में चीन को पता चला।

उसने न जाने कितनी साजिश द्वारा उसे पाने की कोशिश की लेकिन आज तक बेकरार रहता है।

चंदन के लकड़ी पर कुछ इंपोर्टेंट प्रश्न?

तो आपके मन में खूब सारे सवाल उठ रहे होंगे कि ऐसा किस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है

आखिर क्यों चीन इसके पीछे पड़ा तो दोस्तों आज आपकी इन सभी सवालों का जवाब हम देंगे।

आज आपको लाल चंदन से जुड़ी हर एक छोटी सी बात पता चल जाएगी।

ताकि अगली बार जब आप लाल चंदन के बारे में पूरी कथा खोल बैठे।

तो चलिए शुरू करते हैं–

4.पेड़ की ऊंचाई,उपयोग,और समय कितना लगता है?

दोस्तों जैसे कि मैंने आपको बताया लाल चंदन भारत के 2 राज्यों आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में उगता है।

वहां भी हर जगह नहीं सिर्फ और सिर्फ 4 जिलों में प्रचुर मात्रा में होता है।

और चतुर,कडप्पा, कुरनूल और नेल्लोर में फैले शेषाचलम की पहाड़ी में इस बात से आप इसके खास होने की वजह समझ सकते हैं।

*ऊंचाई

पेड़ की एवरेज हाइट 8 से 11 मीटर होती है पूरे विश्व में चंदन की 16 प्रजातियां हैं,

जिसमें सेटलम एल्बम प्रजातियां सबसे सुगंधित और औषधि युक्त मानी गई है।

चंदन का साइंटिफिक नाम गैरों कानपुर सेंट्रल से लकड़ी लाल की है इसमें सफेद चंदन की खुशबू नहीं होती।

लाल चंदन के पेड़ के बारे में सबसे खास बात जो शायद ही दुनिया में कुछ खास चीजों को मिली है।

वह है इसका वक्त यानी कि उसे उगने में कितना समय लगता है।

इस बात को आप इमेजिन कीजिए और हमें कमेंट बॉक्स में बताइए?

*समय

 आप सोच रहे होंगे इतनी कीमती है तो शायद 5,10 साल में या 15 साल में उग जाता होगा मगर आपको बात दे

की इसकी खेती करने में पूरे 30 साल का समय लगता है,

और अगर इसे जैविक खेती का तरीका अपनाकर लगाया जा रहा है तो शायद 15 साल में इसकी (sandalwood)उपयोगिता हो जाती है।

5.चंदन की लड़की कैसे मिट्टी में उगाई जाती है और क्या बनाया जाता है?

 रक्त चंदन की खेती सभी तरह की मिट्टी में हो सकती है लेकिन रेतीली मिट्टी चिकनी मिट्टी लाल मिट्टी में काली दानेदार मिट्टी में अच्छे से बड़े होते हैं।

इसकी खेती कैसी जगह पर नहीं हो सकती है जहां पानी का जमाव होता है।

इसका मुख्य का उपयोग दवा इत्र फर्नीचर और सजावट के सामान विशेष प्रकार के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट आदि को बनाने में किया जाता है।

और कई लोग प्राकृतिक रंग और शराब बनाने में भी इसका इस्तेमाल करते हैं।

*ईलाज 

लाल चंदन(sandalwood)से कई तरह की दवाइयां बनाई जाती है और उसमें लाल चंदन के पाउडर जैसे स्किन एलर्जी जैसी गैलरी में जलन का इलाज हो सकता है।

कहते हैं कि एक्जिमा के मरीज कुछ और खुजली हो और उसमें लाल चंदन पाउडर के साथ बना कर देती है तो मिनटों में उसे ठीक कर देती है।

चमत्कारी आराम पहुंचाती है और दोस्तों जैसे कि सफेद चंदन का लेप हम सबके चेहरे पर निखार ला सकता है।

उसी प्रकार से लाल चंदन का लेप भी हमारे चेहरे की खूबसूरती को बढ़ा देता है।

इसके इस्तेमाल से कील मुंहासे ठीक हो जाते हैं।

इसलिए लाल चंदन और भी ज्यादा डिमांड में रहता है।

अमेरिका का परमान 

अमेरिका की सीट जनरल ऑफ़ ब्रैस्ट कैंसर बेसिक एंड क्लिनिकल रिसर्च के मुताबिक बिहार के वैज्ञानिकों द्वारा रक्त चंदन पर किए गए शोध की तारीफ की गई।

वैज्ञानिकों ने रक्त चंदन में मौजूद प्रतिरोधक क्षमता के बारे में नई खोज की है।

इसमें स्तन कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता की मौजूदगी का पता लगाया गया है।

कहा जाता है रक्त चंदन को सेव और भक्तों को मानने वाले अधिक प्रयोग करते हैं आपको बता दें की पीले चंदन का इस्तेमाल वैष्णो मत वाले करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी (sandalwood)डिमांड बहुत अधिक होती है।

और यही वजह है किस की सुरक्षा को ध्यान से की जाती है।

6.इसकी सुरक्षा और कितने जगह में उगाई जाती है?

ऐसे में सवा दो लाख हेक्टेयर इलाके में फैले शेषाचलम की पहाड़ियों की सुरक्षा काफी अहम होती है।

स्मगलिंग करने की मात्रा कोई छोटी मोटी नहीं प्रत्येक वर्ष कम से कम 20000 करोड रुपए के लाल चंदन का इलीगल सप्लाई करता है।

जरा सोचिए दोस्तों के घर से निकली किया जाता तो यह भारतवर्ष का कितना फायदा हो जाता और यही कारण है कि भारत में इसके लिए सजा भी सुनाई गई है।

कोई भी अगर लाल चंदन की तस्करी करते हुए पकड़ा जाए तो उसे 11 साल की सजा सुनाई जाएगी।

*चीन का चन्दन लकड़ी(sandalwood)के साथ पुराना नाता क्या है?

लाल चंदन की सबसे ज्यादा तस्करी और कोई नहीं दोस्तों हमारा सबसे करीबी दुश्मन चीन में होता है।

ये तो आपको तो पता ही होगा चीन में आयुर्वेदिक में इलाज करना पसंद करते थे।

और कुल मिलाकर आयुर्वेद इलाज बहुत ही होता है।

इसलिए चीन में लाल चंदन की डिमांड ज्यादा है।

सिर्फ चीनी ही नहीं जापान पान मंगोलिया में भी लोग लालचंद से कई तरह की दवा या बनाते हैं।

जिससे कई तरह की बीमारियों के इलाज होते हैं।

इन दवाइयों की रेसिपी को कोई नहीं जानता मगर चीन और जापान में लोग इसका इस्तेमाल करना बखूबी जानते है।

7.चीन लाल चंदन के पीछे कब से और क्यों पड़ा है?

लाल चंदन(sandalwood) के पीछे हाथ धोकर 700 साल पहले की है,चीन में मिंग राजवंश का काम था सन 14 से लेकर 17 सेंचुरी तक चीन में मिंग राजवंश रहा।

जिसमें लाल चंदन की महत्वता रही राज में लाल चंदन से तरह-तरह के फर्नीचर तैयार किया जाता है

इनको लाल चंदन से बनाएगी सामान का शौक था इसलिए मंच के राज में चाइना में लाल चंदन का खूब सप्लाई होता था।

दुनिया भर से लाल चंदन मंगवाई जाती थी और उससे नकाशी करके चीजें बनाई जाती थी।

इसका म्यूज़ियम कहा मौजूद है?

और उन्हीं चीजों का संग्रह करके म्यूजियम भी तैयार किया गया है।

चाइना में मौजूद है और उसका नाम है रेड सेंडल वुड म्यूजियम इसमें आज तक लाल चंदन से बनी चीजों को इज्जत दी जाती है।

और लाल चंदन से बनी बनी सजावट के सामान को अपने घर में रखना एक सम्मान की बात मानी जाती है।

इस बीच इन रहीसो के घर में आपको लाल चंदन से बनी चीजें देखने को मिल जाती है जापान में भी एक समय में लाल चंदन की खूब महत्वपूर्णता थी।

मगर धीरे-धीरे जैसे कि सभी लोग पुरानी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं वैसे जापान में पुरानी परंपरा है।

जिसमें वहां के पारंपरिक शादियों में बजाए जाने वाली एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट सामी सिंह को लाल चंदन से ही बनाया जाता है।

मगर वक्त के साथ-साथ परंपरा भी खत्म हो गई और लालचंद के डिमांड भी मगर चीन में लाल चंदन आज भी डिमांड में है।

*Smugller

इसके लिए स्मगलर प्लस तो अच्छी खासी रकम दी जाती है यही वजह है कि आज कोई भी अपनी जान की जोखिम में डालकर लाल चंदन की तस्करी के लिए तैयार हो जाता है ,

कुछ तस्कर पकड़े जाने के डर से कई बार पाउडर के रूप में भी तस्करी करते हैं।

भारी मात्रा में तेरी होने के कारण सवा दो लाख हेक्टेयर में फैली शेषाचलम पहाड़ी में पाई जाने वाली इन खास तरह की लकड़ी की तादाद 50% तक कम हो गई है।

तस्करों की सजा:–

5 साल पहले 2015 में एनकाउंटर में 20 तस्करों की मौत भी हुई थी इसके साथ बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां भी हुई लिगली देखा जाए तो अंदर प्रदेश के वन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक जापान सिंगापुर आस्ट्रेलिया से उत्तर पश्चिमी देशों के करीब 400 व्यापारी बोली लगाते हैं।

इसमें लगभग 150 चीनी कारोबारी होते हैं और दोस्तो बाकी की चीजें आपको “pushpa” मूवी देख कर समझ में आ जाएंगी इसके बारे में एक कुछ भी बता कर हम आपको बॉयलर देना नहीं चाहते। धन्यवाद।

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